बिहार में एक ही प्रमाण पत्र पर 11 शिक्षक बहाल, तीन BEO को लेकर भी हुआ बड़ा खुलासा
बिहार में एक ही प्रमाण पत्र पर 11 शिक्षक बहाल, तीन BEO को लेकर भी हुआ बड़ा खुलासा
बिहार में एक ही प्रमाण पत्र पर 11 शिक्षक बहाल, तीन BEO को लेकर भी हुआ बड़ा खुलासा
पटना। बिहार में शिक्षक बहाली प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिससे न केवल शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर खामियों का भी खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार, राज्य में एक ही शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर 11 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। यह मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है और उच्च अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिन 11 शिक्षकों की बहाली एक ही प्रमाण पत्र पर की गई है, वे अलग-अलग जिलों में कार्यरत हैं। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि सभी ने अपने आवेदन पत्रों में एक ही विश्वविद्यालय के अंकपत्रों की प्रति संलग्न की है, जो हूबहू एक जैसी है। इस फर्जीवाड़े में तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) से रिपोर्ट तलब की गई है। इसके अतिरिक्त तीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों (BEO) की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जिन पर बहाली प्रक्रिया में लापरवाही और मिलीभगत के आरोप लगे हैं। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिले हैं कि उक्त BEO ने दस्तावेजों का सत्यापन ठीक से नहीं किया और जानबूझकर गड़बड़ी को नजरअंदाज किया।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने के निर्देश दिए हैं, जो निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। साथ ही जिन शिक्षकों की बहाली पर प्रश्न उठे हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
इस घटना ने बिहार की शिक्षक बहाली प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से बार-बार पारदर्शिता और मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया का दावा किया जाता रहा है, किंतु इस तरह की घटनाएं इन दावों की सच्चाई को उजागर कर रही हैं।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए दस्तावेजों की डिजिटल वेरीफिकेशन प्रणाली को और सख्त किया जाएगा। साथ ही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी तंत्र को भी और मजबूत किया जाएगा।
जनता और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इस घटनाक्रम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि दोषियों को सख्त सजा नहीं दी गई, तो योग्य अभ्यर्थियों का विश्वास प्रणाली से उठ जाएगा और शिक्षा व्यवस्था की साख को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
क्या आप चाहेंगे कि इस समाचार के लिए एक रिपोर्टिंग स्क्रिप्ट या बुलेटिन वर्जन भी तैयार किया जाए?